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सिंचाई परियोजना

उत्‍तर प्रदेश बजट 2.0 में यू.पी. के किसानों को क्या मिला ?

उत्‍तर प्रदेश बजट 2.0 में यू.पी. के किसानों को क्या मिला ?

उत्‍तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वर्ष 2022 का बजट पेश किया है। जिसमे यू. पी. के वयस्कों, महिलाओं, गरीब किसानों, बेरोजगारों आदि सभी को लगभग काफ़ी कुछ मिला है। तो आइए हम जानते है कि इस बजट के माध्यम से वहां के किसानों को क्या फ़ायदा मिला ?

उत्‍तर प्रदेश बजट 2.0 के माध्यम से किसानों को फ़ायदा :

- सिंचाई के लिए मुफ़्त बिजली, पी.एम. कुसुम योजना, सोलर पैनल्स, लघु सिंचाई परियोजना

बजट में किसानों को सिंचाई के लिए मुफ़्त बिजली का प्रावधान है। इसके लिए किसानों को पी.एम. कुसुम योजना के अंतर्गत किसानों को मुफ़्त सोलर पैनल्स उपलब्ध कराए जाएंगे। सिंचाई की अवशेष परियोजनाओं को आगे बढ़ाने के साथ एक हज़ार करोड़ रुपए की लागत से लघु सिंचाई परियोजनाओं को आगे बढ़ाने का विशेष प्रावधान भी इस बजट में है।

- भामाशाह भावस्थिरता कोश की स्थापना के लिए फंड

किसानों के लिए भामाशाह भावस्थिरता कोश की स्थापना के लिए फंड की व्यवस्था की गई है। मुख्यमंत्री जी ने पहले से ही धान, गेहूं, और अन्य फसलों के लिए एम.एस.पी. कला उपलब्ध कराई थी लेकिन आलू, टमाटर, प्याज, आदि फसलों में इस प्रकार की व्यवस्था नहीं थी जो कि इस बजट में कराई गई है।

- जैविक खेती

प्रदेश में अभी भी काफ़ी किसान जैविक खेती से जुड़े हुए हैं, जिनके लिए मुख्यमंत्री जी ने टेस्टिंग लैब के व्यवस्था की है। और अगले 5 वर्षों में संपूर्ण बुंदेलखंड खंड को जैविक खेती से जोड़ने का प्रावधान भी इस बजट में पेश किया गया है।

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- बीजों का वितरण

वर्ष 2021-2022 में 60.10 लाख क्विंटल बीजों का वितरण किया गया था और वर्ष 2022-2023 में इसकी मात्रा बढ़ाकर 60.20 लाख क्विंटल बीजों का वितरण किया जाएगा।

- नलकूप तथा लघु नहर

प्रदेश में 30,307 राजकीय नलकूपों तथा 252 लघु नहरों के माध्यम से मुफ़्त सिंचाई सुविधा की व्यवस्था की गई है।

- लघु सिंचाई परियोजना

मुख्यमंत्री लघु सिंचाई परियोजना के लिए एक हजार करोड़ रुपए की व्यवस्था की गई है।

- उर्वरक का वितरण

वर्ष 2021-2022 में कृषकों के लिए 98.80 लाख मीट्रिक टन उर्वरक का वितरण किया गया था तथा वर्ष 2022-2023 में 119.30 लाख मीट्रिक टन उर्वरक के वितरण का लक्ष्य रखा गया है।

- सोलर पंपों की स्थापना

कृषकों को सिंचाई के लिए डीजल विद्युत के स्थान पर ऊर्जा प्रबंधन के तहत ऊर्जा संरक्षण के लिए कृषकों के लिए सोलर पंपों की स्थापना की जाएगी।

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विपक्ष की ओर से बयान :

इस बजट पर विपक्ष की ओर से मायावती ने अपना बयान देते हुए कहा है कि, इस बजट से मुख्यमंत्री जी आम जनता की आंखों में धूल झोंक रहे हैं। उन्होनें आगे ट्वीट कर के कहा है कि "यूपी सरकार का बजट प्रथम दृष्टया वही घिसापिटा व अविश्वनीय तथा जनहित एवं जनकल्याण में भी खासकर प्रदेश में छाई हुई गरीबी, बेरोजगारी व गड्ढायुक्त बदहाल स्थिति के मामले में अंधे कुएं जैसा है, जिससे यहाँ के लोगों के दरिद्र जीवन से मुक्ति की संभावना लगातार क्षीण होती जा रही है।" उन्होंने आगे कहा है कि किसानों के लिए जो बड़े बड़े वादे किए गए थे, तथा जो बुनियादी कार्य प्राथमिकता के आधार पर करने थे वे कहां किए गए। 

वहीं कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि बीजेपी ने इतने बजट पेश किए है जिसमे केवल नंबर बढ़ाए गए है, इससे किसानों को कोई फायदा नही मिला है। बेरोजगारी और गरीबी अपनी चरम सीमा पर है। बजट के बारे में जो कुछ भी मुख्यमंत्री जी ने कहा है, उससे आम जनता और किसानों को कोई फायदा नही है। साथ ही वे कहते हैं उनके इन कामों से जनता का कोई फायदा नहीं होगा। वहीं यूपी के मुख्यमंत्री योगी जी ने बजट प्रस्तुत करने के बाद अपने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा है कि यह बजट 2022-2023 का है, जिससे यूपी की 25 करोड़ जनता का फायदा होगा और साथ ही यह बजट उत्तर प्रदेश के गरीब किसानों और नौजवानों की इच्छाओं को ध्यान में रख कर बनाया गया है। इसके अलावा उन्होनें कहा है कि यह बजट प्रदेश के उज्जवल भविष्य को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है।

राजस्थान के किसानों के लिए सरकार का “रँगीलों तोहफा”, जाने क्या है ये तोहफा

राजस्थान के किसानों के लिए सरकार का “रँगीलों तोहफा”, जाने क्या है ये तोहफा

अमूमन ये माना जाता है कि राजस्थान एक सूखा प्रदेश है और यहाँ खेती की ही नहीं जा सकती। लेकिन, यह अधूरा सच है। हाँ, यह सच है कि राजस्थान के कुछ हिस्सों में पानी की कमी जरूर है। इससे इन क्षेत्रों के किसानों के लिए थोड़ी मुश्किलें जरूर आती हैं। लेकिन, मौजूदा सरकार ने पूरे राजस्थान के किसानों के लिए एक ऐसा शानदार तोहफा दिया है, जिसे सुन कर किसानों का मन झूम उठेगा और साथ ही उनकी फसलें भी लहलहा जाएंगी। राजस्थान सरकार ने एक अच्छी पहल करते हुए, ‘राजस्थान जल क्षेत्र पुनर्संरचना परियोजना” के तहत किसानों को खुशखबरी दी है। सरकार ने किसानों के दिल पर सिंचाई के बोझ को कम करने का काम किया है। तो खबर यह है कि राजस्थान सरकार ने उक्त परियोजना के तहत 3269 करोड़ की विभिन्न सिंचाई परियोजनाओं को मंजूरी दे दी है।

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3269 करोड़ की विभिन्न सिंचाई परियोजनाओं को दी मंजूरी

आने वाले समय में रबी सीजन को देखते हुए राजस्थान सरकार ने किसानों के हित में बड़ा फैसला लिया है। रबी सीजन में बारिश कम होती है, मगर फसलों को सिंचाई की उचित आवश्यकता होती है। देखा जाए तो राजस्थान की सूखी-रेतीली जमीन पर किसानों को पानी की समस्या से काफी जूझना पड़ता है। जिसके कारण किसान परेशान रहते हैं, और इसका असर फसल उत्पादन पर भी पड़ता है। लेकिन, अब ऐसा नहीं होगा क्योंकि राजस्थान सरकार ने 3269 करोड़ की विभिन्न सिंचाई परियोजनाओं को मंजूरी दे दी है, और जाहिर है। इसका सीधा फायदा राजस्थान के किसानों को मिलने जा रहा है। [embed]https://www.youtube.com/watch?v=V9_6hWrsloY&t=144s[/embed] इस योजना के तहत, उन क्षेत्रों में सिंचाई की शानदार व्यवस्था विकसित की जा रही है, जहां सूखा पड़ता है और वहाँ की जमीन को दुबारा खेती के लायक बनाने के लिए किसानों को काफी मेहनत करनी पड़ती है। इस योजना का सबसे बड़ा लाभ यह होगा की अब राजस्थान के सभी इलाकों को फायदा होगा। मसलन, राजस्थान का शेखावाटी इलाका जहां पहले से ही हरित क्षेत्र है, जहां के किसान काफी संपन्न है, वहीं दूसरी तरफ मारवाड़ का भी क्षेत्र है, जहां पानी की कमी है। लेकिन, अब इस हजारों करोड़ के प्रोजेक्ट का फायदा सभी किसानों को मिलेगा। जल क्षेत्र पुनर्संरचना प्रोजेक्ट राजस्थान के रेगिस्तानी क्षेत्र में जल संसाधनों को संरक्षित, विकसित करने का काम करेगा। इससे करीब 22831 हेक्टेयर क्षेत्र जमीन को फिर से खेती के लायक बनाया जा सकेगा। [embed]https://twitter.com/ashokgehlot51/status/1588871228059967488[/embed]  
किसानों को हेमंत सरकार का मरहम

किसानों को हेमंत सरकार का मरहम

झारखंड में बारिश उम्मीद से कम हुई, नतीजा यह हुआ कि खेत में लगी फसल चौपट हो गई। किसान बारिश की उम्मीदों में रह गए, बारिश हुई नहीं और किसान फिर एक साल पीछे चला गया। फौरी तौर पर बीते दिनों हेमंत सोरेन की सरकार ने प्रति किसान 3500 रुपये की सहायता राशि देने का ऐलान किया है।


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24 में से 22 जिले सूखा प्रभावित

बारिश के होने या न होने की पुख्ता सूचना आज भी इंसान नहीं दे पाता है। उसे आसमान की तरफ देखना ही पड़ता है, झारखंड जैसे राज्य में यही हो रहा है। सितंबर से अक्टूबर तक जितनी बारिश की उम्मीद थी। उतनी हुई नहीं, नतीजा यह हुआ कि जो फसल खेत में लगी थी, वह या तो मुरझा गईं या फिर कुपोषण का शिकार होकर रह गईं। झारखंड के 24 में से 6 से 7 जिले ऐसे थे, जहां बारिश ज्यादा हो गई। ज्यादा बारिश होने के नाते भी फसलें मार खा गईं। किसानों की इस तकलीफ को सरकार ने गंभीरता से देखा और सूखा घोषित करने के लिए एक टीम बनाई। जिसने वस्तुस्थिति का आंकलन कर अपनी रिपोर्ट दे दी है। सूखा घोषित करने के जो पैमाने हैं, उनके अनुसार 24 में से 22 जिले सूखा प्रभावित घोषित किये गए।


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प्रति किसान 3500 रुपये का मुआवजा

बीते दिनों मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कैबिनेट की मीटिंग की और उस मीटिंग में यह फैसला किया, कि सरकार किसानों को यूं ही परेशान नहीं होने देगी। सरकार ने तय किया कि हर किसान को 3500 रुपये दिये जाएंगे. इससे उनका दुख थोड़ा तो कम होगा। हाल के दिनों में झारखंड की सिंचाई परियोजनाओं को लेकर भी मुख्यमंत्री चिंतित दिखे। वह हर खेत को पानी पहुंचाना चाहते हैं, पर यह अकेले राज्य सरकार के बूते की बात नहीं। इसमें केंद्र को सहयोग करना ही पड़ेगा।

पोखरे बनाने के लिए अनुदान

सूत्रों के अनुसार, इस संबंध में कई बार केंद्रीय कृषि मंत्री से पत्राचार भी किया गया पर केंद्र से बहुत ज्यादा तवज्जो नहीं मिला। यह मान कर लोग चल रहे हैं कि किसानों के बारे में बात करना और किसान की योजनाओं को झारखंड की धरती पर उतारना दो अलग बातें हैं। शायद यही कारण था, कि जब केंद्र से झारखंड सरकार को मुकम्मल जवाब नहीं मिला तो झारखंड सरकार ने खुद ही कमर कस लिया। अब एक योजना का प्रारूप तैयार किया जा रहा है, इस योजना के तहत सरकार छोटे-छोटे पोखरों के लिए अनुदान की व्यवस्था करेगी। शर्त यह होगी कि इन पोखरों से सिर्फ सिंचाई और मछली पालन ही किया जाएगा।


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अभी यह योजना शुरूआती दौर में है, मान कर चलें कि दिसंबर के आखिरी तक यह तैयार हो जाएगी। अगर ऐसा हो गया तो, किसानों को थोड़ी राहत तो होगी ही, जो किसान बरसात के लिए आसमान की तरफ टकटकी लगाए देखता रहता है। वह सामान्य दिनों में होने वाली बारिश के जल को उस पोखरे में सहेज कर तो रख सकेगा। आने वाले दिनों में पंपिंग सेट की मदद से उस पोखरे के पानी से सिंचाई भी की जा सकती है, सरकार ने इस दिशा में कदम तो बढ़ा दिये हैं। देखते चलें, कब तक इस पर प्रभावी ढंग से अमल हो पाता है।
इस राज्य के कृषि क्षेत्रफल में हुई वृद्धि भारत के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बन गयी है

इस राज्य के कृषि क्षेत्रफल में हुई वृद्धि भारत के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बन गयी है

भारत के तेलंगाना राज्य में खेती के दायरे और क्षेत्रफल में निरंतर वृद्धि देखने को मिल रही है। वर्तमान में रकबे में इजाफा होकर 2.40 करोड़ एकड़ पर पहुँच गया है। राज्य सरकार द्वारा कृषकों को कृषि से जुड़ी बहुत सारी योजनाओं का फायदा प्रदान किया जा रहा है। देश में खेती किसानी के विषय में निरंतर बढ़ोत्तरी हो रही है। देश के प्रत्येक राज्य में फसल के क्षेत्रफल में वृद्धि देखने को मिल रही है। समस्त राज्य सरकारों का एक ही उद्देश्य है, कि नवीन, उन्नत व आधुनिक तकनीकों के माध्यम से कृषि करने हेतु किसानों को बढ़ावा देती हैं। इसलिए सरकार किसानों को आर्थिक छूट देकर कृषि यंत्र भी मुहैय्या करा रही हैं। दक्षिण भारत के राज्य तेलंगाना में भी एग्रीकल्चर क्षेत्र का दायरा बढ़ रहा है। तेलंगाना राज्य सरकार द्वारा प्रेषित अधिकारिक आंकड़ों ने राज्यवासियों की खुशी बढ़ा दी है।

भारत के तेलंगाना राज्य के कृषि क्षेत्र में हुई 2.40 करोड़ एकड़ की बढ़ोत्तरी

तेलंगाना राज्य सरकार की तरफ से कृषि क्षेत्र के अधिकारिक आंकड़े प्रेषित किए हैं। दरअसल, तेलंगाना राज्य पूर्व में आंध्र प्रदेश का भाग था। दीर्घ काल से तेलंगाना राज्य को एक सुरक्षित राज्य निर्मित करने की मांग की जा रही थी। तेलंगाना को 2 जून 2014 को स्वतंत्र तौर पर राज्य बना दिया गया। आंकड़ों के मुताबिक, तेलंगाना राज्य के गठन के दौरान राज्य का कृषि क्षेत्र 1.31 करोड़ एकड़ था। वर्तमान में प्रदेश का कृषि क्षेत्र बढ़कर के 2.40 करोड़ एकड़ पर पहुँच चुका है। तेलंगाना राज्य निरंतर कृषि क्षेत्र में उन्नति के पथ पर चल रहा है।

तेलंगाना राज्य सरकार ने इस योजना के लिए खर्च किए करोड़ों

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, तेलंगाना के मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के कृषि क्षेत्र को सुदृण और मजबूत करने हेतु लाखों करोड़ रुपये का व्यय किया जा रहा है। तेलंगाना राज्य सरकार ने मात्र तीन योजनाओं हेतु अत्यधिक व्यय किया है। आपको बतादें कि रायबंधु, 24 घंटे मुफ्त विघुत एवं सिंचाई परियोजनाओं के निर्माण हेतु 2.16 लाख करोड़ से ज्यादा व्यय कर एक अद्भुत संरचना का निर्माण किया है। राज्य सरकार द्वारा इन योजनाओं से होने वाले विकास की जानकारी ली जा रही है और मुआयना किया जा रहा है।


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तेलंगाना राज्य के अधिकाँश किसानों का खेती की तरफ रुझान

मुख्यमंत्री ने बताया है, कि आजकल खेती किसानी को करना एक कम आय वाले व्यवसाय के रूप में माना जाता है। परंतु ऐसा नहीं है, यदि कृषि आधुनिक ढंग व आधुनिक तकनीकों के माध्यम से की जाए तो खेती भी एक अच्छी आय का व्यवसाय होता है। किसान कृषि के माध्यम से काफी मोटा मुनाफा कमा सकते हैं। इसलिए अधिकाँश लोगों को कृषि से जुड़ना चाहिए। इससे आपका भविष्य उज्जवल हो सकता है। राज्य सरकार का हमेशा प्रयास रहेगा कि पूर्ण भारतीय किसानों के मन में कृषि क्षेत्र के प्रति जागरूकता एवं दिलचस्पी को बढ़ाना है।

भारत के लिए तेलंगाना प्रेरणा का स्त्रोत

तेलंगाना सरकार खेती किसानी की उन्नति की ओर निरंतर कार्य कर रही है। मुख्यमंत्री ने बताया है, कि कृषि क्षेत्र में पुनः दम फूंकने हेतु विभिन्न प्रकार के क्रिया-कलाप जारी कर दिए गए हैं। इनके अंतर्गत डेयरी मवेशियों, हरे फसल वाले खेत, अनाज के ढेर एवं मीठी मृदा की महक वाले तेलंगाना राज्य के गाँव की कृषि क्षेत्र में बढ़ोत्तरी को प्रदर्शित कर रहे हैं। प्रदेश में खेती-किसानी की वृध्दि संपूर्ण भारत हेतु एक आदर्श के रूप में कार्य कर रही है।
राज्य में लोअर सुकटेल सिंचाई परियोजना की शुरुआत, किसान और कृषि की बदलेगी तस्वीर

राज्य में लोअर सुकटेल सिंचाई परियोजना की शुरुआत, किसान और कृषि की बदलेगी तस्वीर

ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने बुधवार को लोअर सुकटेल सिंचाई परियोजना को बोलांगीर एवं राज्य के लोगों को समर्पित किया। आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि यह परियोजना विभिन्न कारणों से दो दशकों से लंबे वक्त से लंबित पड़ी थी। 

इससे बोलांगीर नगर पालिका और पटनागढ़ एनएसी की पेयजल जरूरतों को पूरा किया जाएगा। यह परियोजना 203 गांवों की तकरीबन 1.00 लाख एकड़ (40000 हेक्टेयर) भूमि की सिंचाई करने की भूमिका निभाऐगी। 

अनुमान के तौर पर तकरीबन 75,000 किसान लाभान्वित होंगे। यह काफी बड़ा काम है, क्योंकि बोलांगीर सदैव ओडिशा का एक सूखाग्रस्त क्षेत्र रहा है। जहां प्रति वर्ष औसतन 110 सेमी बरसात होती है। बोलांगीर में महज 31% फीसद भूमि सिंचित है। इस वजह से इसको सूखा, गरीबी और संकटग्रस्त इलाके के तौर पर जाना जाता है।

पेयजल की आपूर्ति भी सुनिश्चित होगी

इस परियोजना के तहत बोलांगीर नगर पालिका और पटनागढ़ एनएसी की पेयजल आवश्यकताओं को पूर्ण किया जाएगा। इससे उद्योग एवं पर्यटन को भी काफी फायदा मिलेगा। 

सीएम नवीन पटनायक ने 2019 में फैसला लिया कि इस परियोजना को 5T पहल के अंतर्गत लिया जाएगा। साथ ही, स्मार्ट तकनीक और टीम वर्क के साथ इसमें तीव्रता लाई जाएगी। 

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अंडरग्राउंड पाइपलाइनों का इस्तेमाल किया जा रहा है

सिंचाई के पानी की आपूर्ति के लिए अंडरग्राउंड पाइपलाइनों का इस्तेमाल किया जा रहा है, जो राज्य में इस तरह का यह पहला मामला है। यह पानी को रिसाव और बाकी बर्बादी से बचाऐगा। 

परियोजना को वक्त पर पूर्ण करने के लिए, स्पिलवे डेक स्लैब के लिए आरसीसी की जगह मिश्रित गर्डर का इस्तेमाल किया गया है। पर्यवेक्षी नियंत्रण और डेटा अधिग्रहण (एससीएडीए) के जरिए दूर से इसको नियंत्रण करने के लिए ऑटोमेटिक रेडियल स्पिलवे गेट लगाए गए हैं।

परियोजना से सैकड़ों गांवों की जमीन को सिंचाई हेतु पानी मिलेगा

बतादें, कि इस परियोजना को सूक्ष्म सिंचाई वाला बनाने के लिए बनाया गया है। यह भारत की सबसे ज्यादा मॉडर्न परियोजनाओं में से एक है। 203 गांवों की तकरीबन 1.00 लाख एकड़ (40000 हेक्टेयर) भूमि सिंचित होगी। 

इससे करीब 75,000 कृषकों को फायदा होगा और बोलांगीर नगर पालिका को पीने का पानी उपलब्ध किया जाऐगा। इसके चलते वर्षभर कृषि संबंधी नौकरियों के अवसर मिलेंगे। 

साथ ही, कृषि आमदनी में इजाफा, सामाजिक-आर्थिक बेहतरी और रिवर्स माइग्रेशन में भूमिका निभाएगी। इसके अतिरिक्त बागवानी, कृषि-उद्योग तथा लघु उद्योग, पर्यटन इत्यादि को भी प्रोत्साहन मिलेगा।

लाखों एकड़ भूमि में सिंचाई की जा सकेगी

वर्तमान में नवीन पटनायक सरकार ने कालाहांडी जनपद को फायदा पहुंचाने वाली ऊपरी इंद्रावती लिफ्ट नहर की भांति विभिन्न बड़ी जल इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाएं समर्पित की हैं। 

इससे निचले इंद्र से नुआपाड़ा एवं बोलांगीर जनपदों को फायदा हो रहा है। बतादें, कि इससे हल्दिया, मयूरभंज, बालासोर, मयूरभंज और कोरापुट जनपदों को फायदा होगा। ये परियोजनाएं कुल मिलाकर 3.64 लाख एकड़ (1.47 लाख हेक्टेयर) को सिंचाई की सुविधा प्रदान करेगी।